दिवाली की 7 पौराणिक कहानियाँ – Diwali Ki Pauranik Kahaniya
Padhiye Diwali Ki Pauranik Kahaniya – दिवाली का त्यौहार भारत देश का सबसे बड़ा त्यौहार है। भारत के अलग-अलग राज्यों में इस त्योहार को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। हर वर्ष दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या वाले दिन धूम-धाम से मनाया जाता है।
दीपावली के दिन लक्ष्मी माता, सरस्वती माता और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है।
- लक्ष्मी माता की पूजा करने से तात्पर्य है पूरा साल धन समृद्धि से पूर्ण जीवन जीना.
- सरस्वती जी की पूजा का मतलब है कि सरस्वती माता हमें सद्बुद्धि दे जिससे हम अच्छे और नेक काम कर सकें।
- भगवान गणेश जी की पूजा का तात्पर्य उनसे अच्छी सेहत, तंदुरुस्ती, धन-धान्य से संपूर्ण जीवन, जल्द खेलते हुए मजबूत परिवार के लिए आशीर्वाद लेना होता है।
पर क्या आप दिवाली को मनाये जाने के पीछे की पौराणिक कहानियाँ जानते हैं? आइए जानें ऐसी ही 7 कहानियों के बारे में।
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Diwali Ki Pauranik Kahaniya
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भगवान राम जी इस दिन 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या वापस आते है
भगवान राम जब रावण का वध कर लंका से अयोध्या वापस अपनी पत्नी सीता माता, भाई लक्ष्मण और हनुमान जी के साथ आ रहे थे तो उनके स्वागत के लिए पूरी अयोध्या को रोशनी से जगमग चमका दिया था, बस तभी से इस दिन को आजतक दिवाली के रूप में मनाया जाता है। दिवाली के दिन को अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में भी जाना जाता है। (Diwali Ki Pauranik Kahaniya)
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पांड्वो की हुई घर वापसी
दीपावली की कथा में कहा जाता है कौरवो को हराने के बाद जिस दिन पांडव घर लौटे थे इस दिन भी दिवाली ही त्यौहार मनाया जा रहा था, पांडवो के घर लौटने पर इस त्यौहार और भी अधिक धूम-धाम से मनाया गया था।
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भगवान श्री कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध
नरकासुर राक्षस को इस्त्री के हाथो मौत का श्राप मिला था, ऐसे में भगवान श्री जी ने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से नरकासुर का वध किया था। जिस दिन ये युद्ध हुआ था उस दिन भी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की तिथि ही थी।
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लक्ष्मी माता का अवतार
दिवाली से जुड़ी एक कथा ये भी है समुंद्र मंथन के दौरन जब देवी लक्ष्मी माता उत्पन्न हुई तो हर तरफ हर्षोल्लास का माहोल था, हर तरफ सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो रहा था, यानी एक कारण है दिवाली के दिन लक्ष्मी माता जी की ही पूजा की जाती है. (Diwali Ki Pauranik Kahaniya)
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काली माता का रोद्र रूप
एक कथा के अनुसार पार्वती माता ने जब राक्षसों का वध करने के लिए काली माता का रूप धारण किया था तब उनका क्रोध शांत नहीं हो रहा था। उनके क्रोध को शांत करने के लिए देवो के देव महादेव शिवजी काली माता के चरणों में लेट गए और तब शिवजी भगवान के स्पर्श से काली माता जी का गुस्सा शांत हुआ था।
और इसी कारण से काली माता के शांत स्वरूप को यानि के लक्ष्मी माता जी को पूजा जाता है। भारत में काई जगाहो पर रात में इस दिन काली माता के रोद्र रूप की भी पूजा की जाती है।
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भारत के अंतिम हिंदू राजा विक्रमादित्य की विजय
भारत के आखिरी हिंदू राजा विक्रमादित्य की भी दिवाली से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी है। राजा विक्रमादित्य भारत देश के एक बहुत ही महान राजा और एक आदर्श राजा के रूप में जाने जाते हैं। कार्तिक अमावस्या के दिन ही उनका राज्याभिषेक हुआ था, और मुगलों को धूल चटाने वाले आखिरी हिंदू सम्राट हुए हैं।
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जहाँगीर एक मुगल बादशाह
सिखों के चौथे गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह को 52 अन्य राजाओं के साथ जहांगीर ने अपने किले में बंदी बनवा लिया था। जब श्री गुरु गोबिंद सिंह को रिहा किया गया था तो उन्हें अपने साथ उन 52 राजाओं को रिहा करने की मांग की गई थी। और उनके कहने पर ही 52 राजा की रिहाई हुई थी, ऐसे में इस दिन को सिख समुदाय के लोग भी खूब जोर-शोर से मनाते हैं।
तो दोस्तो यह थी दिवाली से जुड़ी 7 दिलचस्प कहानियाँ (Diwali Ki Pauranik Kahaniya), जो शायद आपको ना पता हो। उम्मीद है आपको पोस्ट पसंद आएगी। कृपा शेयर करना मत भूल। शुभ दीपावली
Diwali Mein Kare Try Doodh Ki Bani Mithaiyan
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